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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में अभी करीब सवा साल बाकी है, लेकिन सियासी दल अभी से ही राजनीतिक समीकरण दुरुस्त करने में जुट गए हैं. सूबे में सभी दलों की नजर ओबीसी समुदाय के वोटबैंक पर है, जिन्हें साधने के लिए सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष तक अपनी-अपनी पार्टी की कमान यूपी में पिछड़े समुदाय के हाथों में दे रखी है. ऐसे में देखना होगा कि उत्तर प्रदेश का ओबीसी समुदाय किस पार्टी पर भरोसा जताता है. दरअसल, उत्तर प्रदेश की सियासत में पिछड़ा वर्ग की अहम भूमिका रही है. माना जाता है कि करीब 50 फीसदी ये वोट बैंक जिस भी पार्टी के खाते में गया, सत्ता उसी की हुई. 2017 के विधानसभा और 2014 व 2019 के लोकसभा में बीजेपी को पिछड़ा वर्ग का अच्छा समर्थन मिला. नतीजतन वह केंद्र और राज्य की सत्ता पर मजबूती से काबिज हुई. ऐसे ही 2012 में सपा ने भी ओबीसी समुदाय के दम पर ही सूबे की सत्ता पर काबिज हुई थी जबकि 2007 में मायावती ने दलित के साथ अति पिछड़ा दांव खेलकर ही चुनावी जंग फतह किया था.
News source ~ Aaj Tak